यह आत्मा वास्तव में परमात्मा ही है(charachar bhuto me parmeshwer)
यह आत्मा वास्तव में परमात्मा ही है
अच्छे बुरे की योनियों में जन्म लेने का कारण है ?
सीताराम राधे कृष्ण आशा करता हूं आपके घर में सब सुख शांति से होंगे आप अपने माता पिता की सेवा कर रहे होंगे अपने ग्रह जीवन में व्यस्त होंगे और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे शास्त्र का ज्ञान दे रहे होंगे परमात्मा को याद कर रहे होंगे तो कल हमने लोक अध्याय अध्याय 13 के श्लोक नंबर 20 पर समापन किया था आज हम अध्याय 13 के श्लोक नंबर 21 से प्रारंभ करेंगे प्रकृति में स्थित पुरुष प्रकृति से उत्पन्न त्रिगुणात्मक पदार्थों को भोगता है और इन गुणों को इन गुणों का संग ही इस जीवात्मा के अच्छे बुरे की योनियों में जन्म लेने का कारण है |
वह सब प्रकार से कर्तव्य कर्म करता ?
इस देह में स्थित यह आत्मा वास्तव में परमात्मा ही है| वह साक्षी होने से उपदृष्टा और यथार्थ सम्मति देने वाला होने से अनुमता सबका धारण पोषण करने वाला होने से जीव रूप से भोगता है ब्रह्म आदि भी स्वामी होने से महेश्वर और शुद्ध सच्चिदानंदन होने से परमात्मा ऐसा कहा गया है इस प्रकार पुरुष को और गुणों के सहित प्रकृति को मनुष्य तत्व से जानता है वह सब प्रकार से कर्तव्य कर्म करता हुआ भी फिर नहीं जन्मता है |
सूक्ष्म बुद्धि से ध्यान के द्वारा हृदय में रखते हैं !
उस परमात्मा को कितने ही मनुष्य तो शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि से ध्यान के द्वारा हृदय में रखते हैं अन्य कितने ही ज्ञान योग के द्वारा और दूसरे कितने ही कर्म योग के द्वारा देखते हैं अर्थात प्राप्त करते हैं परंतु इनसे दूसरे अर्थात जो मंदबुद्धि वाले पुरुष है वे इस प्रकार जानते हुए दूसरे से अर्थात तत्व के जानने वाले पुरुषों से सुनकर ही तदा अनुसार उपासना करते हुए वे श्रवण परायण पुरुष भी मृत्यु रूप संसार सागर को निसंदेह तर जाते हैं|
जितने भी जग में प्राणी उत्पन्न होते हैं!
"सीताराम राधे कृष्ण"
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