हे कमल नेत्र मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति ! (prlay vistar purvak sune)?
हे कमल नेत्र मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति ! (prlay vistar purvak sune)?
आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है?
सीताराम राधे कृष्ण कैसे हैं आप सब आशा करता हूं, कि आपके घर में सब सुख शांति से होंगे आप अपने माता-पिता की सेवा कर रहे होंगे|और अपने जीवन में व्यस्त होंगे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे होंगे परमात्मा को याद कर रहे होंगे तो कल हमने अध्याय 10 समापन किया था और आज हम अध्याय 11 प्रारंभ करेंगे | इसमें अर्जुन बोलते हैं |मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपने अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उद कहा है |उससे मेरे यह अज्ञान नष्ट हो गया है | क्योंकि हे कमल नेत्र मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति और प्रलय विस्तार पूर्वक सुने हैं | तथा आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है |
तेज से युक्त ऐश्वर्य रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूं?
हे परमेश्वर आप अपने को जैसा कहते हैं | यह ठीक ऐसा ही है, परंतु हे पुरुषोत्तम आपके ज्ञान ऐश्वर्य शक्ति बल वीर्य और तेज से युक्त ऐश्वर्य रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूं, हे प्रभु यदि मेरे द्वारा आपका वह रूप देखा जाना शक्य है ऐसा आप मानते हैं तो हे योगेश्वर उस अविनाशी स्वरूप का मुझे दर्शन कराइए |
अलौकिक रूपों को देख ?
भगवान श्री कृष्ण बोलते हैं | हे पार्थ अब तू मेरे सैकड़ों हजारों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा नाना आकृति वाले अलौकिक रूपों को देख हे भरत वंशी अर्जुन तू मुझ में आदित्य को अर्थात आदिति के द्वादश पुत्रों को आठ वसु को एकादश रुद्र को दोनों अश्विनी कुमारों को और 49 मरुद गणों को देख तथा और भी बहुत से पहले न देख हुए आश्चर्य में रूपों को देख हे अर्जुन अब इस मेरे शरीर में एक जगह स्थित चराचर सहित संपूर्ण जगत को देख तथा और भी जो कुछ देखना चाहता है | सो देख ,परंतु मुझको तू इन अपने प्राकृतिक नेत्र द्वारा देखने में निसंदेह समर्थ नहीं है | इससे मैं तुझे दिव्य अर्थात अलौकिक चक्षु देता हूं, इससे तू मेरी ईश्वर योग शक्ति को देख सकता है |
परम ऐश्वर्य युक्त दिव्य स्वरूप दिखलाया है ?
"सीताराम राधे कृष्ण"
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