अध्याय 11 के श्लोक नंबर 34 से(jagat ati harshit horaha hai)
अध्याय 11 के श्लोक नंबर 34 से(jagat ati harshit horaha hai)
अध्याय 11 के श्लोक नंबर 34?
सीताराम राधे कृष्ण आशा करता हूं आप अपने घर में सुख शांति से होंगे अपने माता-पिता की सेवा कर रहे होंगे अपने गृह जीवन में व्यस्त होंगे और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे होंगे परमात्मा को याद कर रहे होंगे तो कल हमने लोक अध्याय 11 के श्लोक नंबर 33 तक समापन किया था |और आज हम अध्याय 11 के श्लोक नंबर 34 से प्रारंभ करेंगे|
आपके नाम गुण से जगत अति हर्षित हो रहा है !
भगवान श्री कृष्ण" द्रोणाचार्य और भीष्म पिता तथा जयद्रथ और कर्ण तथा और भी बहुत से मेरे द्वारा मरे हुए हैं सूर योद्धाओं को तू मार भय मत कर निसंदेह तू युद्ध में वैरयो को जीतेगा |इसलिए युद्ध कर संजय उवाच संजय बोले केशव भगवान के इस वचन को सुनकर मुकुटधारी अर्जुन हाथ जोड़कर कापता हुआ नमस्कार करके फिर भी अत्यंत भयभीत होकर प्रणाम करके भगवान श्री कृष्ण के प्रति गदगद वाणी से अर्जुन बोले हे अंतर्यामी यह योग्य ही है कि आपके नाम गुण और प्रभाव के कीर्तन से जगत अति हर्षित हो रहा है |और अनुराग को भी प्राप्त हो रहा है| तथा भयभीत राक्षस लोगों दिशाओं में भाग रहे हैं |और सब सिद्ध गुणों के समुदाय नमस्कार कर रहे हैं |
हे जिग्नेश जो सत्य असत्य और उनसे परे ?
हे महात्मा ब्रह्मा के भी आद कर्ता और सबसे बड़े आपके लिए वे कैसे नमस्कार ना करें| क्योंकि हे अनंत हे देवेश हे जिग्नेश जो सत्य असत्य और उनसे परे अक्षर अर्थात सच्चिदानंदन ब्रह्मा है वह आप ही है आप आदिदेव और सनातन पुरुष हैं |आप इस जगत के परम आश्रय और जानने वाले जानने योग्य और परमधाम है |
हे अनंत रूप आपसे यह सब जगत व्याप्त अर्थात परिपूर्ण है ?
आपके इस प्रभाव को न जानते हुए आप मेरे सखा हैं !
हे सर्वात्मक लिए सब और से ही नमस्कार है क्योंकि अनंत पराक्रम शली आप समस्त संसार को व्याप्त किए हुए इससे आप ही स्वरूप हैं| आपके इस प्रभाव को न जानते हुए आप मेरे सखा हैं |ऐसा मानकर प्रेम से अथवा प्रमाद से भी मैंने हे कृष्ण हे यादव हे सखे इस प्रकार जो कुछ भी बिना सोचे समझे हटात कहा है| और आप जो मेरे द्वारा विनोद के लिए विहार सैया आसन और भोजन आदि में अकेले अथवा उन सखा के सामने भी अपमानित किए गए हैं| वह सब अपराध अपम स्वरूप अर्थात अचिन प्रभाव वाले आपसे मैं क्षमा करवाता हूं, तो आज के लिए आपसे यही विदा लेते हैं |श्लोक नंबर 42 से और कल आपसे श्लोक नंबर 43 से हम प्रारंभ करेंगे |
"सीताराम राधे कृष्ण"
गीता का शक्तिशाली श्लोक क्या है?
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