हे विष्णु आपका उग्र प्रकाश संपूर्ण जगत को तेज ?(logo ka naash karne wala hu)
हे विष्णु आपका उग्र प्रकाश संपूर्ण जगत को तेज ?(logo ka naash karne wala hu)
हे महाबाहो आपके बहुत मुख है?
सीताराम राधे कृष्ण आशा करता हूं, आपके घर में सब सुख शांति से होंगे,आप अपने माता पिता की अच्छे से सेवा कर रहे होंगे अपने जीवन में व्यस्त होंगे, अपने बच्चों को अच्छे शिक्षा दे रहे होंगे, और परमात्मा को याद कर रहे होंगे, तो कल हमने अध्याय 11 के श्लोक नंबर 22 पर समापन किया था |आज श्लोक नंबर 23 से प्रारंभ करेंगे |हे महाबाहो आपके बहुत मुख है, और नेत्रों वाले बहुत हाथ जंगा और पैरों वाले बहुत उदार और बहुत सी दाड़ो के कारण अत्यंत विकराल महान रूप को देखकर सब लोग व्याकुल हो रहे हैं| तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूं,
|क्योंकि हे विष्णु आप आकाश को स्पर्श करने वाले दद पमान अनेक वर्णों से युक्त तथा फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अंत करणवाला मैं धीरज और शांति नहीं पाता हूं,दाड़ो के कारण विकराल और प्रलय काल की अग्नि के समान प्रज्वलित आपके मुख को देखकर मैं दिशाओं को नहीं जानता हूं, और सुख भी नहीं पाता हूं |
हे देवेश हे जिगनेश आप प्रसन्न हो?
इसलिए हे देवेश हे जिगनेश आप प्रसन्न हो वे सभी धृतराष्ट्र के पुत्र राजाओं के समुदाय सहित आप में प्रवेश कर रहे हैं |और भीष्म पितामह द्रोणाचार्य तथा वह कण और हमारे पक्ष के भी प्रधान योद्धाओं के सहित सब के सब आपके दाड़ो के कारण विकराल भयानक मुख में बड़े वेग से दौड़ते हुए प्रवेश कर रहे हैं |और कई एक चूर्ण वे सिरों सहित आपके दांतों के बीच में लगे हुए दिख रहे हैं |
अग्नि में अति वेग से दौड़ते हुए प्रवेश करते हैं?
जैसे नदियों के बहुत से जल के प्रवाह स्वाभाविक ही समुद्र के ही सम्मुख दौड़ते हैं |अर्थात समुद्र में प्रवेश करते हैं |वैसे ही वे नर लोक के वीर भी आपके प्रज्वलित मुख में प्रवेश कर रहे हैं| जैसे पतंग मोह वष नष्ट होने के लिए प्रज्वलित अग्नि में अति वेग से दौड़ते हुए प्रवेश करते हैं | वैसे ही यह सब लोग भी अपने नाश के लिए आपके मुख में अति वेग से दौड़ते हुए प्रवेश कर रहे हैं आप उन संपूर्ण लोकों को प्रज्वलित मुखो द्वारा ग्रास करते हैं और ग्रास करते हुए सब ओर से बार-बार चाट रहे हैं|
मैं आपकी प्रवृत्ति को नहीं जानता हूं?
हे विष्णु आपका उग्र प्रकाश संपूर्ण जगत को तेज के द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है| मुझे बतलाइए कि आप उग्र रूप वाले कौन है हे देवों में श्रेष्ठ आप को नमस्कार हो आप प्रसन्न होइए आदि पुरुष आपको मैं विशेष रूप से जानना चाहता हूं, क्योंकि मैं आपकी प्रवृत्ति को नहीं जानता हूं,
भगवान बोले मैं लोगों का नाश करने वाला हूं?
भगवान बोले मैं लोगों का नाश करने वाला हूं, मैं लोगों का नाश करने वाला बड़ा हुआ महाकाल हूं, इस समय इन लोगों को नष्ट करने के लिए प्रवृत्त हुआ हूं, इसलिए जो प्रतिपक्ष की सेना में स्थित योद्धा लोग हैं| वे सब तेरे बिना भी नहीं रहेंगे अर्थात युद्ध न करने पर भी इनका सर्वनाश हो जाएगा अत: तू उठ यश प्राप्त कर और शत्रु को जीतकर धन धान्य से संपन्न राज्य को भोग |यह सब सूर वर पहले से ही मेरे द्वारा मारे हुए हैं |हे स्वस्थ सचिन तू तो केवल निमित मात्र बन जा तो आज के लिए आपसे यही पर श्लोक नंबर 33 पर आपसे बिछड़ते हैं | और कल हम आपसे श्लोक नंबर 34 से प्रारंभ करेंगे तो आशा करता हूं आप अपने घर में सुख शांति से रहेंगे अपने माता-पिता की सेवा करेंगे अपने गृह जीवन में व्यस्त रहेंगे परमात्मा को याद करेंगे और स्वस्थ रहेंगे सीताराम राधे कृष्ण
गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में क्या लिखा है?
चातुर्वर्ण्य मया सृष्टं गुणकर्मविभागः गीता में यह गीत कौन सा है?
गीता में स्त्री के बारे में क्या लिखा है?
पितरों की शांति के लिए गीता का कौनसा अध्याय पढ़ना चाहिए
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