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भगवत गीता में क्या लिखा गया है
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श्रीमद् भागवत गीता
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श्रीमद् भागवत गीता Part 2
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श्री कृष्ण जी अर्जुन जी को समझा रहे हैं
श्री कृष्ण जी अर्जुन जी को समझा रहे हैं
जीवात्मा शरीर को त्याग कर दूसरे नए शरीर को प्राप्त होता है
सीताराम राधे कृष्ण दोस्तों सभी को प्रणाम. हमारे धर्म में कितना अच्छा है कितनी सच्चाई है तब श्री कृष्ण जी कहते हैं क्योंकि हे पुरुष श्रेष्ठ दुख सुख को समान जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है वैसे ही जीवात्मा शरीर को त्याग कर दूसरे नए शरीर को प्राप्त होता है इसका मतलब श्री कृष्ण जी अर्जुन जी को समझा रहे हैं कि तुम किस चीज का लोभ कर रहे हो इस शरीर का कोई भरोसा नहीं है यह एक हमारा किराए का मकान है जीवात्मा इसके अंदर वास करती है तो जिस तरह से हम अपने पुराने वस्त्रों को उतार कर नए वस्त्र ग्रहण करते हैं यह सब आप जानते हैं नए कपड़े लेते हैं तो पुराने वस्त्र को या तो फेंक देते हैं या फिर उनको जला देते हैं वैसे ही यह शरीर भी हमारा पुराना ही एक वस्त्र है जैसे ये जरजर या पुराना हो जाएगा तो यह वस्त्र उतार देंगे यह इसके अंदर की जो जीवात्मा है वह दूसरे वस्त्र के अंदर चली जाएगी तो उसमें किस चीज का लाभ है शरीर का कोई मतलब प्यार नहीं है होना चाहिए |
जीवात्मा के अंदर भगवान के प्रति प्रेम होना चाहिए
जीवात्मा के अंदर भगवान के प्रति प्रेम होना चाहिए | इस आत्मा को ना तो शस्त्र काट सकता है जीवात्मा को आग नहीं जला सकती है इसको जल नहीं गला सकता है और वायु ना सुखा सकती है श्री कृष्ण जी यह बता रहे हैं वह हमारी अंतर आत्मा है हमने जो ऊपर से हम इस इस चीज पर गुमान करते हैं घमंड करते हैं तो इसमें कुछ नहीं है यह किराए का मकान है पुराने वस्त्र है तो इस चीज का बिल्कुल भी लोभ मत करो अगर आप पुराने वस्त्र फेंकते हो उनका कहने का मतलब यह है कि अगर आप इनका वध करते हो तो वध करने के बाद उनके कर्मों के अनुसार उनको नए शरीर का प्राप्ति होगी मतलब नए वस्त्र मिलेंगे नया कमरा मिलेगा |आगे बोलते हैं हिंदी में बता देता हूं क्योंकि यह आत्मा अच्छे द है मतलब छेदी नहीं जा सकती है यह आत्मा जल नहीं सकती है तथा यह आत्मा नित्य सर्वव्यापी अचल स्थिर रहने वाला और सनातन है
तुम इस बात पर क्यों शोक करते हो
अब आप इसमें सोचिए कि गीता में ही सनातन है तो आप लोगों को और कैसे जागरूक किया जाए तो इस चीज का आपको ध्यान रखना है हमारा जो सनातन धर्म है बह बोलते हैं यह आत्मा अव्यक्त है यह आत्मा अचिंत्य है और यह आत्मा विकार रहित है विकार रहित मतलब इसे किसी चीज का कोई विकार नहीं है कि मन में कोई इच्छा नहीं है जो भगवान कराए मतलब कोई जो चाहे वह प्राप्ति आप कर सकते हो पर इच्छा ही नहीं है इसलिए इंद्रिया और मन बनाया गया मन को ही इंद्रिया बोलते हैं वह संत हो जाते हैं विकार रहित कहा जाता है इससे हे अर्जुन इस आत्मा को उपयुक्त प्रकार से जानकर तू शोक करने के योग्य नहीं है तुम इस बात पर क्यों शोक करते हो वह जीवात्मा तो मुक्त होगी उसको नया शरीर प्राप्त होगा अब यह जिंदगी भर तुम्हारे साथ नहीं रहने वाले हैं
एक मां एक ऐसी होती है
अच्छा आप एक चीज खुद मुझ बताइए कि अगर हमारे यहां पर मृत्यु हो जाती है मान लीजिए मृत्यु हो जाती है तो विलाप कितने करते हैं गांव वाले आते हैं गांव वालेआने के बाद में आके दो मिनट वहां पर रोएंगे और उसके बाद में सीधे अपने अपने घर जाएंगे ठीक बात चलेगी कोई किसी को याद नहीं करता है ठीक है बच्चे हैं वो 10 दिन याद करेंगे 15 दिन बाद भूल जाएंगे बीवी है वो 15 दिन याद करेगी बाप है वह बिचारे ज्यादा से ज्यादा एक महीना दो महीना फिर संभल जाएंगे आगे की जिंदगी के बारे में सोचने के लिए इनको कैसे पालना है एक मां एक ऐसी होती है जो जब भी याद आए तब भी व अपने पुत्र को याद करती है ठीक है अर्थात तुझे शोक करना उचित नहीं है तो इस बात का शोक नहीं करना चाहिए किंतु यदि तू इस आत्मा को सदा जन्मे तथा सदा मरने वाला मानता है तो भी तू इस प्रकार का शोक करने योग्य नहीं है मतलब प्रभु बोलते हैं श्री कृष्ण जी बोलते हैं कि हे अर्जुन अगर तुम आत्मा को मानते हो कि वह आत्मा सदा जन्मी रहेगी अमर रहेगी या मरती रहेगी ठीक है तो यह जो महाबाहो में है ना तो इस प्रकार का शोक करने योग्य भी नहीं है ये भी शोक नहीं करना ये एक जीवन चक्र है एक स्कूल है मैंने पिछली उस में भी बताया गया था कि हम लोग जो पृथ्वी लोक पर रहते हैं वह मृत्यु लोक है वो लास्ट योनि मिलती है हमको हमारे कर्मों को सुधारने के लिए कि हम अपने कर्म कैसे सुधारे जिससे कि हम भवसागर को पार कर सके इस जीवन मरण के मृत्यु चक्र से आजाद हो सके ठीक है तो उसमें क्या होता है जैसे हम कक्षा एक में जाते हैं पास होते हैं तो अगली कक्षा में बढ़ जाते हैं वैसे ही योनियों में होता है कि आप जैसे-जैसे योनियों में हिसाब में जाते रहेंगे लास्ट योनि होती है हमारी क्लास 12 होती है ग्रेजुएशन होती है हम उसको पास कर लेते हैं पास कर लेते हैं तो हम लोग गवर्नमेंट जॉब पा लेते हैं
जीवन मरण के जो चक्र है
तो ऐसे ही यह है हमारी जो लास्ट मनुष्य योनि है इसमें अगर हम अच्छे पुण्य करते हैं और भगवान को याद करते हैं और अच्छे अंतर मन से दिखावा नहीं जो अंतर मन होता है ना किसी के लिए यार अगर मेरी जेब में पाच नहीं और सामने वाले को पाच की जरूरत है तो मैं अपना ना सोच के उसको दे दूं वो सबसे बड़ी बात होती है उस चीज को बोला जाता है ऐसे नही दिखावा करना कि ये मैं वो कर रहा हूं 50 बांट रहा हूं यह बांट रहा हूं कोई बात नहीं पर मैं सनातन धर्म पर बना रहा हूं वैसे ही बना रहा हूं तो वैसे मैं सिर्फ दिखाता हूं बंदों को जो बेचारे घर पर बैठ के नहीं देख पाते तो किस चीज के लिए करना तो क्लास अगर हम पास कर लेंगे ग्रेजुएशन तो हम सरकारी जॉब कर लेंगे ऐसे ही यह है कि मनुष्य योनि में अगर हम अपने सारे पाप धुल लेते हैं और अच्छे कर्म को प्राप्त करके प्रभु को प्राप्त कर लेते हैं तो भव सागर से हम पार हो जाते हैं जीवन मरण के मृत्यु जीवन मरण के जो चक्र है इसको पार कर लेते हैं और सीधे बैकुंठ धाम एक जो लोक है वहां पर प्रभु के साथ रहते हैं फिर हमको कोई जन्म लेने की जरूरत नहीं है कोई मरण की जरूरत नहीं है यह बताते हैं क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे हुए का जन्म निश्चित है इससे भी इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने योग्य नहीं है प्रभु कहते हैं श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते हैं कि यह इस जो यह मान्यता है इसके अनुसार जो जन्मा है वह मरेगा यह आप भी जानते हैं और जो मरा है व जन्मे यह आप भी जानते हैं तो यह एक सच है तो इस चीज पर क्यों शोक करना मुझे ये बता दीजिए आप इस विषय पर क्यों शोक कर रहे हैं
यह किराए का मकान हम कब छोड़ के निकल जाएंगे
तो प्रभु ये समझाते हैं तो यह चीज आपको भी समझनी चाहिए कि अगर हम जिंदा है ना तो हमारी एक मिनट का हमको भरोसा नहीं है यह किराए का मकान हम कब छोड़ के निकल जाएंगे यहां से ठीक तो प्रभु को याद कीजिए कलयुग में तो सबसे अच्छा एक सूत्रधार मिला हुआ है पहले जो सतयुग में सतयुग में 10 हजार साल तपस्या करनी पड़ती थी तब जाकर भगवान की प्राप्ति होती थी सिद्धि प्राप्ति होती थी त्रेता युग में 1000 साल प्रा तपस्या करनी पड़ती थी तब प्राप्ति होती थी उसमें 100 साल द्वापर युग में तब जाकर सिद्धि प्राप्ति होती एक कलयुग ऐसा है
कलयुग में राम का नाम ही आधार है
जिसमें सिर्फ यह बोला गया है कि तुम सिर्फ एक बार भगवान का नाम सच्चे दिल से ले लो राम नाम ले लो इसीलिए बोला जाता है कलयुग राम नाम आधारा कलयुग में राम का नाम ही आधार है वही पार करा सकते हैं आपको और कृष्ण जी ही राम है राम ही कृष्ण जी है तो इसलिए भैया मैं तो दो ही वर्ड बोलता हूं सीताराम राधे कृष्ण यह सबसे अच्छे हैं सीताराम राधे कृष्ण सीताराम राधे कृष्ण सीताराम राधे कृष्ण सीताराम राधे कृष्ण सीताराम राधे कृष्ण सीताराम राधे कृष्ण सीताराम राधे कृष्ण क्योंकि राधा ही कृष्ण है कृष्ण ही राधा है उनकी माया तो वो जा हम तो तुच्छ प्राणी है प्रभु बोलते हैं हे अर्जुन संपूर्ण प्राणी जन्म से पहले अपक थे और मरने के बाद भी अपक हो जाने वाले हैं केवल बीच में ही प्रकट है फिर ऐसी स्थिति में क्या शोक करना यह बात प्रभु बोले हैं अब आपको यह चीज समझ में है पर हम लोग दिमाग में नहीं डालते एक बात बताइए जब तक हमने जन्म नहीं लिया है तो हमारी आत्मा किसी को नहीं दिखाई देती उन्होंने बोला कि जन्म प्राणी जन्म से पहले अपक था दिखाई नहीं देता था और मरने के बाद भी अप्रकट है मरने के बाद भी आत्मा चल जाती है तो भी अप्रकट हो जाती है प्रकट दिखाई थोड़ी ना देती है किसी को बोलते हैं बोलो भूत प्रयत आत्मा है भाई वो तो अकाल मृत्यु है तो वो तो थोड़ा बहुत हो जाता है
सीताराम राधे कृष्ण
बाकी वो तो अपक है ना तो फिर इस स्थिति में तुम किस बात का शोक कर रहे हो यह बात सत्य है आपको अच्छा लगे तो आप मेरी तरफ से सीताराम राधे कृष्ण कीजिए और भगवत जी का अगर आप संस्कृत में कर सकते इंग्लिश में जिस लैंग्वेज में आप करना चाहते हैं जैसे मैं हिंदी में कर रहा हूं तो हिंदी में मेरे को बहुत अच्छे से समझ में आ रहा है और यह जो दुनिया डराती है कि भगवत गीता आप अगर पढ़ोगे श्रीमद् भगवत गीता पढ़ लोगे तो आप संत हो जाओ गृहस्ती छोड़ दोगे ऐसा कुछ नहीं बताया गया है इसमें गृहस्ती में रहने के बाद भी आप सब कुछ ज्ञान ले सकते हो ठीक है तो आप जितना ज्यादा से ज्यादा ज्ञान लोगे ज्ञान तो वह भंडार है जितना ज्ञान आप लोगे वह कभी खत्म होता ही नहीं है और वह ज्ञान आपके फिर बच्चों के भी कार्य काम आएगा आपके बच्चों के संस्कार में भी आएगा इस चीज का आपको ध्यान देना है तो मैं समाप्त करता हूं सभी को सीताराम राधे कृष्ण
श्री कृष्ण जी अर्जुन जी को समझा रहे हैं
Reviewed by Sanatan my first vlog
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नवंबर 07, 2024
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