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इंद्रियों को संयम रूप अग्नि में हवन किया करते हैं

 

इंद्रियों को संयम रूप अग्नि में हवन किया करते हैं



इंद्रियों को संयम रूप अग्नि में हवन किया करते हैं




सीताराम राधे कृष्ण कैसे हैं आप सब आशा करते हैं | घर में सब सुख शांति से होंगे आप अपने माता-पिता की सेवा कर रहे होंगे |अपने गृहस्थ जीवन में व्यस्त होंगे और परमात्मा को याद कर रहे होंगे | हमने अभी अध्याय चार के श्लोक नंबर 25 तक समापन किया था और आज हम श्लोक नंबर 26 से श्लोक नंबर 28 तक पढ़ेंगे | 


कई पुरुष द्रव्य संबंधी यज्ञ करने वाले हैं| 

श्री कृष्ण भगवान बोलते हैं |अन्य योगी जन सूत्र आदि समस्त इंद्रियों को संयम रूप अग्नि में हवन किया करते हैं |  और दूसरे योगी लोग शब्दा आदि समस्त विषयों को इंद्र रूप यनि में हवन किया करते हैं | अन्य योगी जन कुछ योगी जन सोत्र हो गया और आदि सोत्र आदि समस्त इंद्रियों सय रूप अग्नि में हवन किया करते हैं |कई पुरुष द्रव्य संबंधी यज्ञ करने वाले हैं| 



सीताराम राधे कृष्ण

जब तक अपने मां बाप अपने माता-पिता को आदर सम्मान देते रहेंगे |दुनिया आपको आदर सम्मान देगी जिस दिन आपने अपने माता-पिता का दामन छोड़ा उनका आदर सम्मान छोड़ा उस दिन दुनिया ने आपको इंसान अलग कर देगा बिल्कुल चाहे | सीताराम राधे कृष्ण


इंद्रियों का संयम क्या कहलाता है?


इंद्रियों को वश में कैसे करें?


क्या इंद्रियों के वशीभूत व्यक्ति मुक्ति पा सकते हैं







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