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साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए

            साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए |







सीताराम राधेकृष्ण आप सब कैसे हैं आशा करता हूं सभी कुशल मंगल होंगे और घर में सुख शांति होगी सभी अपने माता पिता का ख्याल रख रहे हो |अपने घर ग्रहस्ती  उसमेथोड़ा सा व्यस्त होंगे | तो सब मंगल ही होगा| आज हम श्लोक नंबर 10 तक पढ़ेंगे | श्लोक नंबर आठ में प्रभु कहते हैं |  साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए |पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए है और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग युग में प्रकट हुआ करता हूं | 

जीवन मरण मृत्यु का चक्र है |

आप काल चक्र में फसे हुए हो जो जीवन चक्र है जीवन मरण मृत्यु का चक्र है | उसमें फसे हुए पता नहीं कितनी बार आपका जन्म हो चुका है कितनी बार क्या हो चुका है|  हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म दिव्य और अर्थात निर्मल बिल्कुल साफ सुथरे और अलौकिक जिनकी कोई तुलना ही नहीं कर सकते इस प्रकार जो मनुष्य तत्व से जान लेता है 

संसार को उद्धार करने के लिए |

वह शरीर को त्याग कर फिर जन्म को प्राप्त नहीं होता है| किंतु मुझे ही प्राप्त होता है | इस प्रकार आलौकिक है | सर्वशक्तिमान सच्चिदानंदन परमात्मा अजरअविनाशी और सर्व भूतों में परम गति तथा परम आश्रय है | वे केवल धर्म कि स्थापन करने और संसार को उद्धार करने के लिए ही अपनी योग माया से सगुण स्वरूप होकर प्रकट होते हैं |

परमेश्वर के समान सुहृद प्रेमी 

 इसलिए परमेश्वर के समान सुहृद प्रेमी और पतित पावन दूसरा कोई नहीं है | ऐसा समझकर जो पुरुष परमेश्वर का अन्य प्रेम से निरंतर चिंतन करता है |आसक्ति रहित संसार में बरता है वही उनको तत्व से जानता है | पहले भी जिनके राग , भय और क्रोध ,सर्वथा नष्ट हो गए थे | और जो मुझ में अन्य प्रेम पूर्वक स्थित रहते थे|





भक्त उपयुक्त ज्ञान रूप तप से पवित्र होकर |

 ऐसे मेरे आश्रित रहने वाले बहुत से भक्त उपयुक्त ज्ञान रूप तप से पवित्र होकर मेरे स्वरूप में प्राप्त हो चुके हैं | ऐसे मेरे आश्रित रहने वाले बहुत से भक्त उपयुक्त ज्ञान रूप तप से पवित्र होकर मेरे स्वरूप में विलीन हो चुके | बाकी आपसे कल मुलाकात होगी  | सीताराम राधेकृष्ण | 


श्री कृष्ण का पहला श्लोक कोन सा था?


गीता के 4 अध्याय में ज्या लिखा गया है?


गीता में योग के लिए क्या कहा गया है?


गीता के अनुसार सबसे पवित्र क्या है?





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