भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं !मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूं ?prakriti mata hai
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं !मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूं ?prakriti mata hai
सीताराम राधे कृष्ण आशा करता हूं, आपके घरमें सब सुख शांति से होंगे आप अपने माता पिता की अच्छे सेवा कर रहे होंगे अपने ग्रहस्त जीवन में अच्छे से व्यस्त होंगे और अपने बच्चों को अच्छे से शिक्षा दे रहे होंगे शास्त्रों का ज्ञान दे रहे होंगे तो कल हमने अध्याय 13 समापन किया था आज हम अध्याय 14 प्रारंभ करेंगे | भगवान श्रीकृष्ण बोले ज्ञान में भी अति उत्तम उस परम ज्ञान को मैं फिर कहूंगा| जिसको जानकर सब मुनि जन इस संसार से मुक्त होकर परम सिद्धि को प्राप्त हो गए हैं|
उस जड़ चेतन के संयोग से सब भूतों की उत्पत्ति होती है|
इस ज्ञान को आश्रय करके अर्थात धारण करके मेरे स्वरूप को प्राप्त हुए पुरुष सृष्टि के आदि में पुनः उत्पन्न नहीं होते हैं |और प्रलय काल में भी व्याकुल नहीं होते हैं | हे अर्जुन मेरी महत ब्रह्म रूप मूल प्रकृति संपूर्ण भूतों को योनि है अर्थात गर्भधान का स्थान है |और मैं उस योनि में चेतन समुदाय रूप गर्भ को स्थापना करता हूं| उस जड़ चेतन के संयोग से सब भूतों की उत्पत्ति होती है|
मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूं !
हे अर्जुन नाना प्रकार की योनियों में जितने मूर्तिया अर्थात शरीर धारी प्राणी उत्पन्न होते हैं प्रकृति तो उन सभी गर्भ धारण करने वाली माता है और मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूं |हे अर्जुन सत्व गुण रजोगुण और तमोगुण यह प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बांधते हैं |
वह इस जीवात्मा को कर्मों के और उनके फल के संबंध से बांधता है |
हे निष्पाप उन तीनों गुणों में गुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला है और विकार रहित है वह सुख के संबंध से और ज्ञान के संबंध से अर्थात उसके अभिमान में बांधता है |हे अर्जुन राग रूप रजो गुण को कामना और आसक्ति से उत्पन्न जान वह इस जीवात्मा को कर्मों के और उनके फल के संबंध से बांधता है |
हे अर्जुन सत्व गुण सुख में लगाता है!
हे अर्जुन सब देह अभिमान को मोहित करने वाले तमो गुण को तो अज्ञान से उत्पन्न जान वह इस जीवात्मा को प्रमाद आलस्य और निंद्रा के द्वारा बांधता है |हे अर्जुन सत्व गुण सुख में लगाता है और रजोगुण कर्म में तमोगुण तो ज्ञान को ढककर प्रमाद में भी लगाता है |हे अर्जुन रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्व गुण सत्व गुण और तमोगुण को दबाकर रजोगुण वैसे ही सत्व गुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण होता है अर्थात बढ़ता है जिस समय इस देह में तथा अंतक और इंद्रियों में चेनता और विवेक शक्ति उत्पन्न होती है उस समय ऐसा जानना चाहिए कि सत्व गुण बड़ा है |
अशांति और विषयो भोगों की लालसा यह सब उत्पन्न होते हैं !
हे अर्जुन रजोगुण के बढ़ने पर लो प्रवृति स्वार्थ बुद्धि से कर्मों का सकाम भाव से आरंभ अशांति और विषयो भोगों की लालसा यह सब उत्पन्न होते हैं तो आज के लिए हम यहीं पर समापन करते हैं अध्याय 14 के श्लोक नंबर 12 पर कल आपसे मुलाकात होगी अध्याय 12 अध्याय 14 के श्लोक नंबर 13 से तो आशा करता हूं
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