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जीव आत्मा का काम क्या होता है

जीव आत्मा का काम क्या होता है


 
जीव आत्मा का काम क्या होता है




सीताराम राधे कृष्ण मैं आपको गीता का सार थोड़ा थोड़ा-थोड़ा करके सुनाने जा रहा हूं |भगवान श्री कृष्ण के मुख से प्रकट हुआ है उस गीता रूप गंगा जल को पी लेने पर पुनः इस संसार में जन्म नहीं लेना पड़ता मतलब कि जन्म मृत्यु के चक्र से हम लोग मुक्त हो जाते हैं जो एक जीवन चक्र होता है ना के प्राणी यहां पर रहेगा पाप करेगा फिर जाएगा उसके पापों का होगा फिर उसको एक योनि मिलेगी फिर आए तो वही क्लास वाला एक सिस्टम होता है कि कक्षा में कक्षा में अगर वह फेल हो जाएगा तो दोबारा से उसको आना पड़ेगा वह पास हो जाएगा अपनी नौकरी प्राप्त कर लेगा नौकरी मतलब भवसागर को पार कर लेगा बैकुंठ लोक को पार कर लेगा सनातन धर्म मैं आपको इस तरीके से समझा रहा हूं कि जो आपको समझ में आ जाए हिंदी धर्म हिंदी तो अगर मैं समझाऊ तो हिंदी आपको समझ में इतनी नहीं आएगी में आदि हिंदी आदि संस्कृत है


जीव आत्मा का काम क्या होता है

 भाई देखो मैं तो संस्कृत से भी पढ़ा हूं हिंदी से भी पढ़ा हूं तो मेरे को तो मैं कम से कम बता रहा हूं कि दो दो से चार साल से मैं इस चीज में हूं पर यह ज्ञान मेरे को अभी आया है कि इसके थ्रू जब सब आदमी य ट रील बना सकते हैं तो क्या हम अपने सनातन धर्म का प्रचार नहीं कर सकते हम अपने जो हमारे भाई गलत रास्ते पर जा रहे हैं सनातन धर्म किसी को यह तो नहीं बोलता आप लोग यह करो वह करो सनातन धर्म यह बोलता है कि आप सनातनी हो आप सबका सम्मान करो संस्कार सिखाओ यह सिखाया जाता है सनातन को आज तक ना कोई मिटा पाया है जल वायु अग्नि कोई भी आज तक कोई नहीं मिटा पाया है सिर्फ ऊपर वाले के अलावा तो एक छोटी सी मतलब प्रथा है के जाक करने का के हम मतलब मैं एक जरिया बनू के आप लोगों को थोड़ा बहुत पता चले कि हां के यह जीवन मृत्यु का जो चक्र होता है यह पृथ्वी लोक जो होता है वह मृत्यु लोक होता है मृत्यु लोक होता है हम लोग सब जीव आत्मा है जीव आत्मा का काम क्या होता है जैसे क्लास में बच्चे जाते हैं पढ़ाई करते हैं फेल पास का उनका रिजल्ट देखा जाता है सेम वही कहानी है फेल हुए तो फिर से जाओगे पा तो भव सागर से पार हो जाओगे कलयुग नाम नाम आधारा सिर्फ कलयुग में राम का नाम लेने से ही आपका उद्धार हो जाएगा 

जो शुद्ध बुद्धि श्रेष्ठ मनुष्य उसका भोग करेगा


इस बात को आप ध्यान दीजिए सुनिए संपूर्ण उपनिषदों गो के समान गो के समान है गोपाल नंद श्री कृष्ण दलने वाले हैं अर्जुन बछड़ा है तथा महान गीता मृत ही उसका गौका दुग्ध है और शुद्ध बुद्धि वाला श्रेष्ठ मनुष्य ही इस भोक्ता है इसे भोगता है मतलब जो इसमें कहा गया है गोपाल नंदन श्री कृष्ण दूने वाले हैं व दूध दूने वाले हैं अर्जुन एक बछड़ा है बछड़ा मतलब दूने वाले गाय का बछड़ा है तथा महान गीता अमृत गीता अमृत ही उसका गौका का दूध है गीता ही अमृत है और गाय का दूध है उसको जो शुद्ध बुद्धि श्रेष्ठ मनुष्य उसका भोग करेगा ठीक है तो वह इस भव सागर से पार हो जाएगा इस बात को आप ध्यान दीजिए देवकी नंदन भगवान श्री कृष्ण कहा हुआ गीता शास्त्र एक गीता शास्त्र ही एक मात्र उत्तम शास्त्र है भगवान देव के नंदन ही एकमात्र महान देवता है उनके नाम ही एक मात्र मंत्र है और उन भगवान की सेवा ही एकमात्र कर्तव्य कर्म है 

जिस घर में शंख की ध्वनि सुबह 


श्रीमद् भगवत गीता के प्रधान विषयों के अनुक्रमण विषय श्लोक अर्जुन विषाद योग नामक अध्याय फर्स्ट में अध्याय फर्स्ट श्लोक नंबर 11 दोनों सेनाओं के प्रधान प्रधान शूरवीर की गणना और सामर्थ्य का कथन 12 दोनों सेनाओं की संक ध्वनि का कथन अर्जुन द्वारा मतलब अर्जुन को श्री कृष्ण कहते हैं दोनों सेनाओं के बारे में बताते हैं प्रधान सेवकों के बारे में बताते हैं कि दोनों सेनाओं का सामर्थ्य कितना है और दोनों सेनाओं के संख की ध्वनि का कथन कितना है और एक चीज और आप ध्यान दीजिए जिस घर में शंख की ध्वनि सुबह सुबह जहां तक जाती है वहां तक कहीं भी नेगेटिविटी नहीं आती यह बात आप ध्यान रख लीजिएगा 

अर्जुन के कार्यरत स्नेह और शौक युक्त वचन संख्या योग

और एक सबसे अच्छा मंत्र है अगर आपको समझ में आए तो कृष्णाय वासुदेवाय हरे परमात्मने प्रते क्लेश नाशय गोविंदाय नमः नमः कृष्णाय वासुदेव हर परमात्मने वही परमात्मा है हर परमात्मने कलेश नाशय गोविंदाय नमो नमः जितने भी आपके कलेश है सारे दूर हो जाएंगे बस आप इसको 11 बार जप कीजिए ठीक है मोह से व्याप्त हुए अर्जुन के कार्यरत स्नेह और शौक युक्त वचन संख्या योग नामक दो रा अर्जुन की कार्यरत के विषय में श्री कृष्ण अर्जुन संवाद नंबर 11 से 30 तक संख्या योग का विषय यह मैं आपको बता रहा हूं जो अध्याय और श्लोक है यह मैं वह आपको बता रहा हूं ठीक है जो मेन गीता स्टार्ट होती है वह यहां से स्टार्ट होती है श्रीमद् भागवत गीता यहां से स्टार्ट होती है ठीक है

द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा था

मैं आपको यह पढ़कर सुनाता हूं श्रीमद् भागवत गीता अथ प्रथम अध्याय प्रथम अध्याय धृतराष्ट्र उवाच धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र समवेता युयुत्सु युव है माम का पांडव पांडव चस्व किम कुवत सज्जन इसका अर्थ य है धृतराष्ट्र बोले हे संजय धर्म भूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया संजय उपवास संजय बोलते हैं वा वाच में संजय बताते हैं दृष्टा त पांडव दृष्टा त पांडवा निकम वुंडम दुर्योधना दुर्योधना तदा आचार्यम पुस कंडम राजा वचन बम बृत इसका अर्थ है संजय बोले उस समय राजा दुर्योधन ने वह रचना युक्त पांडवों की सेना को देखकर और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा था ठीक है तो हे आचार्य आपके बुद्धि मान शिष्य द्रौप पुत्र त ट धुमर द्वार वकार खड़ी की हुई पांडु पुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिए ठीक है अत्र सुरा महेश वसा भीम अर्जुन समा युद्धि यय धन ट राट द्रुप महारथ दृष्ट केतु चेस किता राजस्य वीर्य वान प्रजीत कन कांति भोजन सचस नर्व पुंड युद्ध नमस विक्रांत उत्तम जाव रवान सो भद्र द्रोप दय चव सर्व एवं मर्थ है इसका अर्थ है इस सेना में बड़े बड़े धनुष वाले तथा युद्ध में भीम और अर्जुन के समान शूरवीर सत्य की और विराट तथा थ राजा द्रुपद ट के दृष्ट केतु और चेकी तान तथा बलवान काशीराज पुरूजित कुंती भोज और मनुष्य में श्रेष्ठ सभ्य पराक्रमी युद्ध मान्यू युद्ध आमन तथा बलवान उत्त मोजास सुब पुत्र अभिमन्यु एवं द्रोपदी के पांचों पुत्र यह सभी महारती है 

भगवान श्री कृष्ण के मुख से कही गई है




ठीक है यह अध्याय हमारे को इतना बताता है कि इस अध्याय को पढ़ने से जीवन सफल हो जाता है यह श्रीमद् भागवत गीता है जो भगवान विष्णु भगवान श्री कृष्ण के मुख से कही गई है ठीक है इस चीज को आप लोगों को ध्यान देना होगा थोड़ा बहुत पढ़ाई पर ध्यान दो एक घंटा आधा घंटा अगर आप इस चीज पर ध्यान देंगे भगवान ज्यादा समय नहीं मांग ठीक है इसके बाद आपको एक कहानी में बताऊंगा ठीक है यह लास्ट है और इसके बाद में हम दोबारा से कल करेंगे ठीक है असमा कम त विशिष्टा यह त बध दत्तम नायका मम सन्य से सज अर्थ तान विम ममते हे ब्राह्मण श्रेष्ठ अपने पक्ष में भी जो प्रधान है उनको आप समझ लीजिए आपकी जानकारी के लिए मेरी सेना के जो जो सेनापति हैं उनको बतलाता हूं तो बाकी का कार्य जो भगवत गीता का है वह कल पाठ करेंगे थोड़ा-थोड़ा करके मैं आपको बहुत कुछ सुनाऊंगा ठीक है आपको अच्छा लगे तो कृपया अपना प्यार दीजिएगा सनातन धर्म को अपनाए सनातन धर्म को छोड़िएगा मत चाहे कुछ भी हो जाए सनातन धर्म को मिटाने वाले चले गए पर हम लोग यही के यही हैं पर मैं यह चाहता हूं कि सनातन से प्रेरित होकर या मेरे जरिए कुछ लोग प्रेरित होकर सनातन धर्म को और अच्छे से ज्ञान जाने ठीक है इतना पढ़ा लिखा संस्कृत में मैं भी नहीं हूं मैं आपको हिंदी में जितना हो सकता है उतना ज्ञान दूंगा ज्ञान भी देखो ज्ञान तो उसे दिया जाता है



उसी के बगल में एक राक्षस ताल है जिसका जल समुद्र के समान है 


 जो ज्ञानी पुरुष ना हो हम सब ज्ञानी पुरुष हैं बट हमको ज्ञान अपने ज्ञान को पहचानने की जरूरत है सीताराम सभी बड़े बुजुर्गों सभी मेरे आदरणीय को सीताराम राधे कृष्ण अच्छा अब मैं आपको एक कहानी बताता हूं सतयुग चार योग यह इंफिनिटी होती है इंफिनिटी सारा सब कुछ जितना भी होता है अच्छा मानसरोवर पर मानसरोवर हम जाते हैं कैलाश पर्वत पर मानसरोवर पर एक मानसरोवर है ठीक है जिसमें वैज्ञानिक भी फेल हो चुके हैं एक मानसरोवर है वही मानसरोवर ताल के नजदीक में उसका पानी बिल्कुल नॉर्मल पानी के जैसे निर्मल पानी होता है वैसे पानी के जल के अभिन्न है ठीक है उसी के बगल में एक राक्षस ताल है जिसका जल समुद्र के समान है अब आप खुद यह सोचिए कि इतनी ऊंचाई पर जाकर इतनी ऊंचाई पर जाकर दो तालों के जो दो तालाब है उनके जल अलग-अलग कैसे हो सकते हैं यह तो विधाता ही कर सकते हैं और कोई नहीं कर सकता है है ना तो सबसे बड़ी चीज यह है कि मैं हां मैं कहां था मैं यह बता रहा था कि हमारी शुरुआत सतयुग से हुई थी नमस्कार तो मैं कहां था मैं यहां था कि सतयुग त्रेता युग और द्वापर युग और कलयुग सतयुग सतयुग की कहानी है


तब उनको भगवान के दर्शन होते थे


 सतयुग जब स्टार्ट हुआ वह सृष्टि के स्टार्टिंग से ही स्टार्ट सतयुग उसमें जो मनुष्य होते थे तो वह मनुष्य क्या थे कि उनकी हाइट जो होती थी वह 20 फीट से भी ऊपर होती थी वह 100 हज वर्ष तक जीवित रहते थे ठीक है 10000 वर्ष तक जीवित रहते थे और उनकी तपच आप यह बात ध्यान से सुनिए उनकी तपस चर्या में वह तपश्चार्य कम से कम 1000 साल तक करते थे तब उनको भगवान के दर्शन होते थे उनको वरदान मिलता था ठीक है सतयुग में तो पूरा सत्य ही बोला जाता था ठीक है उसके बाद आया हां और सतयुग सतयुग में अवतार देखिए सब सब सब चीज बताऊंगा आपको सतयुग में अवतार देखिए आप सतयुग में कौन-कौन से अवतार हुए हमारे नरसिंह अवतार हुए वराह अवतार हुए ठीक है नरसिंह अवतार हुए बराह अवतार हुए मतस्य अवतार हुए बा अवतार हुए टोटल चार ठीक है उसके बाद हम आते हैं किस पर त्रेता युग पर त्रेता युग में ठीक है त्रेता युग में त्रेत युग में आयु होती थी 1000 वर्ष ठीक है 1000 वर्ष आयु होती थी तो नहीं उसमें मैं गलत हूं सतयुग में आयु ज्यादा होती थी त्रेता युग में 100 हज वर्ष आयु होती थी तब वह 1000 वर्ष या हजार वर्ष या जैसे भी होता था वह तपश्चार्य करते थे अब उसमें जो हमारे अवतरित हुए थे उसमें कौन-कौन थे भगवान परशुराम भगवान राम ठीक है यह हुए तीनों अब आते हैं हम द्वापर दोनों अब आते हैं हम द्वापर युग में द्वापर युग में द्वापर युग में कौन थे द्वापर युग जब स्टार्ट हुआ तो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ ठीक है 

 सब कुछ नष्ट हो जाएगा अभी तो सिर्फ 4000 साल हुए हैं

भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ जब तक वह यहां इस धरती पर इस मृत्यु लोक पर जीवित रहे उनकी किसी ने पूजा नहीं की यही तो होता है यही होता है जब आदमी चला जाता है तब उसकी बातों को ध्यान में दिया जाता है वो तो खुद बैकुंठ लोक के स्वामी थे जब उन्होंने गीता का सार दिया गीता का ज्ञान दिया विराट रूप दिखाया तब जाके पता चला कि हां यह भगवान है ठीक है अब आते हैं हम कलयुग में कलयुग में कहते तो हैं कल्की जी अवतार लेंगे ठीक है एक कोई नगर है जो छिपा हुआ है वहां पर जो कल्की जी होंगे वह श्री कल्की जी उस उस नाम तो मुझे भी नहीं पता है सांभर नाम है उसका सांभर नाम है बट वह छिपा हुआ है वहां पर जो शुद्ध जीवा आत्माएं हैं सिर्फ उन्हीं को रखा गया है बाकी सब कुछ सब कुछ नष्ट हो जाएगा अभी तो सिर्फ 4000 साल हुए हैं यह 432000 साल का है 4000 साल हुए हैं 432000 साल का है ठीक है इसमें आयु अब आप आयु के हिसाब से जाइए सतयुग में सतयुग में आयु होती थी 20 फीट त्रेता में आयु हुई और नीचे हुई 17 फीट 16 फीट ठीक है उसके बाद में आप द्वापर युग में जाएंगे उसमें फिट हुई 7 फीट 8 फीट 11 फीट भीम जी की आयु 11 फीट उसके बाद कलयुग में कलयुग में जाएंगे कितनी है हाइट मुश्किल से मिलता है 6 फुट का एक आदमी और उसकी भी आयु कितनी 100 वर्ष निर्धारित है 









सीताराम राधे कृष्ण

100 वर्ष तो कोई पार ही नहीं करता मुझे लगता है कोई भी नहीं करता है कर्मी ऐसे नहीं है हमारे कर्मी ही धर्म है धर्म ही कर्म है यह चीज को आपको समझना पड़ेगा य आपसे हाथ जोड़कर विनती है आप सब सोर्ट कीजिए लाइक कीजिए सब्सक्राइब कीजिए बेल आइकन को दबाइए जिससे कि मेरी नेक्स्ट वीडियो मिल जाए आपको बट मैं वीडियो बनाऊंगा तो सनातन धर्म को प्रमोट करने के लिए ही और किसी चीज के लिए नहीं बनाऊंगा अगर ब्लॉग बनाऊंगा तो अपने बच्चों को कैसे संस्कार देने हैं अपने बच्चों के हिसाब से बनाऊंगा आपको उसको देख के बनाना पड़ेगा जैसा भी है आप चाहते हैं आपकी इच्छा है बट कहीं ना कहीं इस दिल में थोड़ा बहुत तो भगवान के नाम पर और संस्कार के नाम पर यह तो आएगा कि यार यह बंदा अगर कर सकता है तो हम भी कर सकते हैं ठीक है आपसे हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है मेरा   आप सभी बड़े प्राणियों को सत सत प्रमा प्रणाम है मेरा ठीक है जय सीताराम राधे कृष्ण



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